Sonia Jadhav

Add To collaction

हम तुम- भाग 14

भाग 14

अदिति की बात सुनकर आदित्य का मन खुश हो जाता है और कहता है चलो आज तुम्हें शॉपिंग करवाता हूँ।

आदित्य अदिति को नीली जीन्स और सफ़ेद शर्ट, एक डेनिम जैकेट भी दिलवाता है और कहता है कि जब अगली बार मिलेंगे तो यह पहनकर आना।

अदिति को आदित्य की बात याद आती है…. जब वो  अदिति के साथ इंटरव्यू देने गया था तो उसने बस में बैठते ही एक बात कही थी कि अभी वो उसकी टिकट के पैसे दे रहा है, इसलिए शाम को वापिस जाते हुए वो टिकट लेगी दोनों की और अब देखो उसी इंसान ने मुझे इतना कुछ खरीद कर दिया है अपनी पहली तनख्वाह से।

आदित्य समझ जाता है अदिति क्या सोच रही है….वो उसके कान में कहता है….तब हमारा ब्रेकअप हो चुका था और अब तुम मेरी होने वाली बीवी हो। तुम पर नहीं खर्च करूँगा तो किस पर करूँगा?
अदिति…..तुम्हें कैसे पता मैं इस बारे में सोच रही थी?

आदित्य मुस्कुराकर कहता है तुम्हारे दिमाग में जैसे ही कोई बात आती है ना, ज़ुबान से पहले आंखों में बात करती हुई नज़र आ जाती है। तुम्हारी छोटी-छोटी आँखें बहुत बात करतीं है तुम्हारी तरह।
अदिति आदित्य की आँखों में देखकर कहती है….क्या तुम्हें यकीन है कि हमारी शादी हो जायेगी?

आदित्य अदिति का हाथ पकड़कर कहता है….आदित्य में अदिति है तो होगी कैसे नहीं। हाँ राह मुश्किल जरूर है लेकिन पहाड़ियों को मुश्किलों से निपटना आता है।
अदिति आदित्य की तरफ प्यार से मुस्कुराकर देखती है और आसमान की तरफ देखते हुए आंखें बंद करके भगवान का शुक्रिया अदा करती है।

आदित्य कहता है चलो घर चलें, देर हो रही है, लाओ ये सारे बैग मुझे दे दो, थक जाओगी तुम।

आदित्य अदिति के हाथ से सारे बैग लेकर अपने बैग में रख लेता है। आदित्य की शुरू से आदत होती है वो और अदिति जब भी मिलते थे वो अदिति का बैग अपने बैग में रख लिया करता था। वो अदिति की हर चीज का ख्याल रखता था, यहाँ तक की खाने-पीने का भी। अदिति सिर्फ आदित्य के नाम में ही नहीं थी बल्कि उसकी रगों में भी लहू बनकर दौड़ रही थी। आदित्य के लिए वो उसकी जिंदगी का नहीं बल्कि शरीर का हिस्सा बन चुकी थी।


कुछ दिन बाद….
आदित्य रात को अदिति से बात कर रहा होता है तभी पापा के ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आती है…..आदि, आदि बाहर आ कमरे से।

आदित्य फोन रखकर बाहर भागता है। पापा कहते हैं आकाश कह रहा है कि तेरा अभी भी चक्कर उस पंजाबी लड़की से चल रहा है और तू उससे शादी करना चाहता है। यह सच है कि झूठ बोल?

आदित्य जैसे ही हाँ कहता है, उसके गाल पर झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ता है। थप्पड़ की आवाज़ से घर में सन्नाटा पसर जाता है। किसी की कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं होती।

देख आदि तू यह कान खोलकर सुन ले….यह शादी तो मैं बिलकुल होने नहीं दूंगा। किसी दूसरी जाति की माँस-मच्छी खाने वाली लड़की को मैं अपनी बहू बिल्कुल नहीं बनाऊंगा। दिल्ली में रहने का यह मतलब नहीं है कि मैं अपना धर्म, अपनी परंपराएं भूल जाऊँ।

आदित्य अपने पापा की आँखों में आँखें डालकर कहता है….आपकी जानकारी के लिए बता दूँ मैं भी बाहर माँस-मच्छी बड़े शौक से खाता हूँ। पहाड़ी नहीं है तो क्या हुआ, है तो वो हिन्दू ही। मैं उसे दिल से पत्नी मान चुका हूँ। शादी करूँगा तो उससे ही, यह तय है।

तो इसका मतलब तू मेरे खिलाफ जायेगा, कुछ महीनों के प्यार के लिए अपने माँ बाप को छोड़ देगा।

आदित्य.. .... माँ-बाप के साथ तो मेरा खून का रिश्ता है जो तोड़ने से भी टूट नहीं सकता। लेकिन अदिति का साथ एक बार छूट गया तो फिर वो हमेशा के लिए छूट जायेगा।
पापा मैं अपने फैसले पर अडिग हूँ। चाहे कुछ भी हो जाए यह बदलेगा नहीं।

आकाश भी पापा को समझाने की कोशिश करता है लेकिन पापा उल्टा उसे ही डांट लगा देते हैं। मम्मी अदिति को बुरा भला कहती है कि इस लड़की ने जादू टोना करके मेरे लड़के को फ़ांस लिया है। लेकिन जैसे ही आदित्य की मम्मी की ज़ुबान से निकलता है…..आजकल की लड़कियों ने तो धंधा बना रखा है पैसे वाले लड़कों को प्यार के जाल में फंसा कर उनसे शादी करने का, आदित्य से रहा नहीं जाता और वो कहता है….वाह मम्मी एक औरत होकर दूसरी लड़की के लिए ऐसा कह रही हैं? मुझे शर्म आ रही है आज ब्राह्मण होने पर अपने। आदित्य  गुस्से से उठकर अपने कमरे में चला जाता है।

अदिति की कई मिस्ड कॉल्स होती हैं लेकिन वो फोन बंद करके लेट जाता है। पापा-मम्मी के व्यवहार ने उसे अंदर तक आहत कर दिया था। लेकिन आदित्य ने भी ठान लिया था, उसे अब उसके फैसले से कोई हिला नहीं सकता था। इधर आदित्य परेशान था , उधर अदिति यह सोच-सोचकर कि आदित्य के घर में क्या हुआ होगा?

अगले दिन आदित्य बिना कुछ खाए ऑफिस चला जाता है। अदिति फोन पर फोन कर रही होती है। आदित्य अपना सारा गुस्सा अदिति पर निकाल देता है और चिल्लाकर कहता है…..यूँ बार-बार फोन करना बंद करो मुझे। जब तक मैं फोन ना करूँ मुझे फोन मत करना और फिर से अपना फोन ऑफ कर देता है।

अदिति की आँखों से आँसू बहने लगते हैं और वो सोचती है इस तरह से तो कभी उसके पापा ने भी उससे बात नहीं की। लेकिन कहीं ना कहीं उसे यह भी एहसास होता है कि घर में कुछ बड़ा तमाशा हुआ है उनकी शादी को लेकर तभी आदित्य ने इस तरह बात की है उससे।

आदित्य घर में सबसे बात करना बंद कर देता है। आकाश की शादी के जितने काम होते हैं वो सब करता है लेकिन बिना किसी उत्साह के।

आदित्य के मन में इतना गुस्सा होता है कि वो कई दिनों तक अदिति से भी बात नहीं करता और अदिति भी उसके कहे अनुसार उसे फोन नहीं करती।

कई दिन तक अदिति का फोन नहीं आता तो आदित्य बेचैन हो जाता है और रात को उसे फोन करता है। कुछ सेकंड्स के लिए ना वो कुछ कहता है ना अदिति।
अदिति के रोने की आवाज़ आती है तो आदित्य की आँखें भी भर आती हैं। वो भी रोने लगता है और अदिति से अपने उस दिन के व्यवहार के लिए माफी माँगता है और कल मिलने के लिए कहता है।

दोनों अधिकतर मॉल ही जाया करते थे, वहाँ एक कोने में बैठकर बेफिक्री से घण्टों बात किया करते थे।

सर्दी के दिन थे और धूप में बैठकर आदित्य को अदिति से बात करना बहुत सुहाता था। अक्सर वो अदिति की बर्फ सी ठंडी हथेलियों को अपनी गर्म हथेलियों में रखकर अदिति को गर्माहट का एहसास दिलाता था। आज भी आदित्य धूप में ऐसे ही अदिति के हाथ पकड़कर बैठा हुआ था शांत।

अदिति….घर में क्या हुआ कुछ बताओगे मुझे?
आदित्य….कुछ खास नहीं, जिसका डर था वही हुआ। पापा ने मेरे हौसलों को पस्त करने के लिए थप्पड़ मारा मुझे, मम्मी ने तुम्हें बुरा-भला कहा और शादी के लिए मना कर दिया।

उस दिन पापा के थप्पड़ ने मुझे भीतर तक झकझोर कर रख दिया था। शायद जब बातों से बात नहीं बनती तो इंसान के पास हाथों का इस्तेमाल करने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। पता नहीं भारतीय माता-पिता को अपने बच्चों के फैसलों पर विश्वास क्यों नहीं होता? एक चिड़िया भी अपने बच्चों को उड़ने के लिए आसमान देती है और मेरे माता-पिता बांधकर रखना चाहते हैं मेरे सपनों को बेड़ियों में। 


 ❤सोनिया जाधव

   14
3 Comments

रतन कुमार

31-Jan-2022 12:22 AM

बेहतरीन कहानी है mam

Reply

Arjun kumar

20-Jan-2022 12:43 PM

nice

Reply

Rakash

20-Jan-2022 12:19 PM

Nice

Reply